बच्चों को आमतौर से उनके अभिभावक बहुत अच्छे उपदेश देते रहते हैं और उन्हें राम, भरत एवं श्रवण कुमार देखना चाहते हैं, पर कभी यह नहीं सोचते कि क्या हमने अपनी वाणी एवं आकाँक्षा को अपने में आवश्यक सुधार करके इस योग्य बना लिया कि उसका प्रभाव बच्चों पर पड़ सके।
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