पूजा का उद्देश्य बहुत ही विशेष और महत्त्वपूर्ण है। पूजा के पीछे न जाने क्या क्या विधान और उद्देश्य भरे पड़े हैं। पर क्या कभी यह हमारे दिमाग में आया? कभी नहीं आया। केवल लक्ष्यविहीन कर्मकाण्ड, भावनारहित कर्मकाण्ड करते रहे, जिनके पीछे न कोई मत था न उद्देश्य। जिनके पीछे न कोई भावना थी न विचारणा। केवल क्रिया और क्रिया…। ऐसी क्रिया की मैं निन्दा करता हूँ और ऐसी क्रिया के प्रति आपके मन में अविश्वास पैदा करता हूँ, बाधा उत्पन्न करता हूँ।
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