अपने व्यक्तित्व को ऊँचा उठाने की बात सोचिए। इतना अगर आप सोच सकते हों,तो फिर आप देखना किस कदर आपको भगवान की सहायता मिलती है और देवताओं की।
Month: April 2014
शिक्षा की सार्थकता
शिक्षा की सार्थकता तभी है, जब वह शिक्षार्थी को मानवी गरिमा के अनुरूप सतप्रवृतियों में अभ्यस्त करा सके। जिन्हें ऐसी सतशिक्षा नहीं मिल पाती, वे उजड्ड,गँवार स्तर के पिछड़े हुए ही रह जाते हैं।
संसार में ऐसी कोई भी वस्तु नहीं,जिसकी प्राप्ति मनुष्य के लिए असंभव हो
संसार में ऐसी कोई भी वस्तु नहीं,जिसकी प्राप्ति मनुष्य के लिए असंभव हो।प्रयत्न से सभी कुछ पाया जा सकता है,लेकिन एक ऐसी चीज है जिसे एक बार गँवाने के बाद कभी नहीं पाया जा सकता और वह है समय। एक बार हाथ से निकला हुआ समय फिर कभी नहीं मिलता।
अंह का सुख
मान – बड़ाई, यश – प्रतिष्ठा से जो अंह का सुख मिलता है , उसमें भी बाधाएं कम नहीं हैं। प्रत्यक्ष में तो मान – सम्मान,यश और बड़ाई पाने वाला व्यक्ति बड़ा बलवान नजर आता है, लेकिन यथार्थ में ऐसा होता नहीं , कहीं अंतस् में वह बड़ा ही कायर और डरपोक होता है।
आदर्शों का उद्घोष
आदर्शों का उद्घोष करते तो अनेकों हैं,पर उसका पालन करने का समय आने पर वे उद्घोषकरता ही मुखौटे बदल लेटें है।
दुनिया एक नशेबाज की तरह है
दुनिया एक नशेबाज की तरह है,जिसे अपने पुराने ढर्रे के दोष विदित होते हुए भी उसे बदलने में कठिनाई प्रतीत होती है।
अपनी भूल हो,वहाँ दुराग्रह छोड़ दिया जाए।
पाप के साथ पटरी नहीं बिठायी जा सकती है,पर इतना तो हो ही सकता है कि जहाँ अपनी भूल हो,वहाँ दुराग्रह छोड़ दिया जाए।